क्रोध (Anger)- विनाश का संकेत | Krodh | Gussa
क्रोध (Anger)- विनाश का संकेत
क्रोध को हमारे शास्त्रों में विनाश का दूसरा रूप या कह सकते हैं कि विनाश का संकेत भी माना गया है, कहा जाता है कि जहां क्रोध होता है वहां खुशियां, धन और प्रेम जैसी चीजें कभी नहीं टिक सकती, कभी ना कभी इसका विनाश अवश्य होता है |हमारी ज़िन्दगी उस ईश्वर द्वारा , हमको दिया एक अनमोल तोहफा है, जिसमें अच्छा बुरा, छोटा बड़ा, खुशियां दुख, वैमनस्यता और क्रोध भी शामिल हैं, लेकिन हमें अपने जीवन में किन आदतों को अपनाना है तथा किन को खुद से दूर करना है, इस बात के चयन का अधिकार ईश्वर ने हमें ही दिया है |
इसे कुछ इस तरह से समझये, मानों हम किसी बारूद के ढेर पर माचिस लिए खड़े हों, लेकिन ये चयन हमारा ही है कि हम उस ढेर पर खड़े होकर माचिस जला कर खुद को झुलसा लें या फिर माचिस ना जला कर खुद को बचा ले | यही सोच है जो हमें सिखाती है कि असल जीवन क्या है, और हमें इसमें कैसे जीना है कैसे हम खुद को और दूसरों को खुश रख सकते हैं,
या फिर सारा जीवन क्रोध की अग्नि में जलकर, इस मानव रूप में प्राप्त वरदान को खुद से ही समाप्त कर लेते हैं | हमें आखिर क्रोध आता ही क्यू है? इस बात पर कभी विचार तो आया ही होगा, जरूर आया होगा, हिंदू धर्म शास्त्रों और पुराणों में , क्रोध आने का सबसे बड़ा कारण, इच्छाओं को माना गया है, क्योंकि यदि आपकी कोई इच्छा हो जिसे आप पूरा करना चाहते हो और किन्ही कारण वश यदि वह पूरी नहीं होती है तो, क्रोध आना लाज़मी ही है,
और यही वह पल होता है जब हम अपने जीवन में कोई गलत कदम या गलत फैसला ले बैठते हैं | तो जब भी आप को लगे कि आप क्रोध कर रहे है, तो कुछ देर शांत बैठे, गहरी साँसे ले और दिमाग को कुछ क्षण ठंडा होने दे, फिर देखिए कैसे आप अपने क्रोध पर नियंत्रण कर पाएंगे, तो जाते जाते बस यही कहना चाहूंगा कि गुस्से को खुद से जितना हो सके दूर रखें क्योंकि ये आपको परमात्मा से दूर करता है शास्त्रों में भी लिखा है कि जहां इच्छा, वासना, और क्रोध हो वहां ईश्वर कभी निवास नहीं कर सकते.
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