तुम क्या लेकर आए थे और क्या लेकर जाओगे- A lesson from Bhagwat Geeta
तुम क्या लेकर आए थे
"नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः। न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः॥"
अर्थ – भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन, ये आत्मा अजर अमर होती है, इसे ना तो आग से जला सकते है, और ना ही पानी भिगो सकते है, ना ही हवा इसे सुखा सकती है ना ही कोई अस्त्र शस्त्र इसे काट सकता हैं। ... और आत्मा कभी नही मर सकती है.
"तुम क्या लेकर आए थे और क्या लेकर जाओगे, खाली हाथ आए थे और खाली हाथ जाओगे [Tum Kya Lekar Aye The Aur Kya Lekar Jaaoge, Khali Haath Aye The Aur Khali Hath Jaooge"]
ये समझना ज्यादा मुश्किल भी नहीं है, मृत्यु हमारे जीवन का एक ब्रह्म सत्य है जिसे नकारा नहीं जा सकता है | हम इस धरती पर जन्म लेते हैं, Survive करते हैं, जीवन भर सांसारिक सुखों दुखों को भोगते हैं और फिर एक दिन इस धरती पर अपना सब कुछ छोड़ कर चले जाते हैं, यानी हम मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं और इस लोक से परलोक का सफर शुरू करते है | लेकिन आखिरकार ये मृत्यु है क्या ये क्यों होती है और हम मरकर आखिर जाते कहाँ हैं | इन सब बातों का ज्ञान हमें हमारे धर्म शास्त्रों में मिलता है.
महाभारत के समय भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को रणभूमि में बहुत सा ज्ञान दिया था जिसमें मृत्यु का ज्ञान भी शामिल है | जब अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण से पूछते हैं कि मृत्यु क्या है तब भगवान श्री कृष्ण बताते हैं कि किस तरह एक मनुष्य इस धरती लोक पर आता है और यहां सालों रहकर अपने कर्मों को करता है, इसलिए इस धरती को कर्मभूमि भी कहा गया है | जब कोई मनुष्य इस मानव योनि में जन्म लेता है और जब वह मृत्यु को प्राप्त होता है उसके बाद वह कहा जाता है,
हमारे धर्म शास्त्रों में यह बताया गया है कि इस धरती लोक के अलावा भी दो और लोक होते हैं जहां मनुष्य मरने के उपरांत जाता है एक है स्वर्ग लोक और दूसरा है नर्क लोक, भगवत गीता में ये बताया गया है कि जब मनुष्य इस धरती पर अच्छे कर्म, धरम करम के काम पुण्य के काम करता है तो मरने के उपरांत उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है जहां उसे सुख भोगने को मिलता है,
और वहीं दूसरी तरफ यदि कोई मनुष्य पाप का भागीदार बनता है तो उसे नर्क लोक में जगह मिलती है जहां उसे प्रताड़ना प्राप्त होती है, और जब वह मनुष्य अपना पाप और पुण्य भोग लेता है तो उसे फिर से इस धरती लोक में वापिस भेज दिया जाता है, अर्थात मनुष्य भले ही मर जाता है लेकिन आत्मा नहीं मरती वो अजर अमर होती है और शरीर बदलकर वापिस फिर से इस कर्म भूमि पर वापिस आजाती है |
लेकिन हमारे द्वारा किए कार्य ही ये सुनिश्चित करते हैं कि हम मरने के उपरांत भी सुख के भागीदार बने या फिर दुख और प्रताड़ना के, यह पूरा वाक्या हमें एक और ज्ञान भी देता है कि हमें अपनी इस छोटी सी ज़िंदगी में क्या करना चाहिए कैसे हम खुश रह सकते हैं और इस इंसानियत को खुद में कैसे ज़िंदा रख सकते हैं |
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